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                               कक्षा – 12वी  मानव भूगोल   

                          Chapter - 5 प्राथमिक क्रियाएं

Notes By :- StudyAnybody                                   Mohd Guljar(9315230675)

प्रश्न 1.आर्थिक क्रिया किसे कहते हैं ?

आर्थिक क्रिया मानव के ऐसे कार्य जिनसे आय प्राप्त होती है उन्हें आर्थिक क्रिया कहते हैं इन्हें मुख्यता चार भागों में बाटा जाता है :

1.प्राथमिक क्रिया

2.द्वितीयक क्रिया

3. तृतीयक क्रिया

4. चतुर्थक क्रिया

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प्रश्न 2. प्राथमिक क्रिया किसे कहते हैं ?

 प्राथमिक क्रिया ऐसी क्रियाएं जिनके लिए मानव प्रत्यक्ष रुप से प्रकृति पर आधारित होता है । जैसे की कृषि , पशु - पालन , खनन आदि ।

प्रश्न 3. लाल कॉलर श्रमिक किसे कहते हैं ?

 प्राथमिक कार्य करने वाले लोग जिन का कार्यक्षेत्र घर से बाहर होता है , उन्हें लाल कॉलर श्रमिक कहते हैं ।

 

प्रश्न 4 . आखेट एवं भोजन संग्रह का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।

आखेट एवं भोजन संग्रह : - आखेट एवं भोजन संग्रह प्राचीनतम ज्ञात आर्थिक क्रिया है । जिसमें मानव सभ्यता के आरंभिक युग में आदिम मानव अपने जीवन निर्वाह ( जीवन जीने ) के लिए अपने आसपास के वातावरण पर निर्भर रहता था और वह पशुओं का आखेट ( शिकार ) कर तथा अपने आसपास के जंगलों से खाने योग्य जंगली पौधे एवं कंदमूल आदि एकत्रित करता था ।

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( i ) अपार्जन संग्रह

( ii ) व्यापारिक संग्रह एवं

( iii ) संगठित संग्रह ।

• वर्तमान में भोजन संग्रह विश्व के निम्नलिखित दो भागों में किया जाता है :

( 1 ) निम्न अक्षांशीय क्षेत्र जिसमें अमेजन बेसिन ऑस्ट्रेलिया जैसी क्षेत्र आते हैं ।

( 2 ) उच्च अक्षांशीय क्षेत्र जिसमें उत्तरी कनाडा और उत्तरी यूरेशिया जैसे क्षेत्र आते हैं ।

 

प्रश्न 5 पशुपालन से आप क्या समझते हैं ? इसे कितने भागों में बांटा जाता है ?

पशुपालन : - पशुपालन एक व्यवसाय है जिसमें पशु पालने का कार्य किया जाता है । यह कार्य जलवायु दशाओं पर निर्भर करता है जैसे कि घास के मैदानों में गाय - बैल एवं घोड़े , मरुस्थलों में ऊंट , पर्वतीय क्षेत्रों में याक का पालन किया जाता है । इसे पशुचारण भी कहते हैं यह निम्नलिखित दो प्रकार का होता है :

• चलवासी पशुचारण

•वाणिज्य पशुधन पालन

 

प्रश्न 6 चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर कीजिए ।

इसमे निम्नलिखित अंतर है :

चलवासी पशुचारण

वाणिज्य पशुधन पालन

1.चलवासी पशुचारण में पशुपालक एक स्थान से दूसरे में स्थान पर चारे ( भोजन ) तथा के जल की खोज में घूमते रहते हैं ।

1. वाणिज्य पशुधन पालन एक निश्चित स्थान पर बड़े फार्म में किया जाता है और पशुओं के चारे की व्यवस्था स्थानीय रूप से की जाती है

 

2. Click Here for PDF

2.वाणिज्य पशुधन पालन में पशु पालक उसी विशेष पशु को पालता है जिसके लिए वह क्षेत्र अत्यधिक अनुकूल होता है ।

3. पशु प्राकृतिक रूप से बड़े होते हैं और उनकी विशेष देखभाल नहीं की जाती है ।

3. पशुओं को वैज्ञानिक पद्धति के अनॅसार पाला जाता है और उनकी विशेष देखभाल की जाती है ।

4. चलवासी पशुचारण पूंजी प्रधान नहीं है इसमें प्राकृतिक रूप से पशुओं को पाला जाता है ।

4. वाणिज्य पशुधन पालन अपेक्षाकृत व्यवस्थित एवं पूंजी प्रधान हैं ।

5. चलवासी पशु पालन में चारे के लिए फसल नहीं उगाई जाती है ।

5. वाणिज्य पशुधन पालन में चारे की कमी होने पर फसल को उगा कर उसकी आपूर्ति की जाती है ।

6. यह एक प्राचीन जीवन निर्वाह व्यवसाय है । जिसमें पशु पालक भोजन , वस्त्र व यातायात के लिए पशुओं निर्भर रहते थे ।

6Click Here for PDF

7. Click Here for PDF . .

7. यह मुख्यता नई दुनिया में प्रचलित है । विश्व में न्यूजीलैंड , ऑस्ट्रेलिया , अर्जेंटीना एवं संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में वाणिज्य पशुधन पालन किया जाता है ।

 

प्रश्न 7 ऋतु प्रवास किसे कहते हैं ?

ऋतु प्रवास : - चलवासी पशुपालक गर्मियों में मैदानी भाग से पर्वतीय चारागाह की ओर और सर्दियों में पर्वतीय भाग से मैदानी चारागाह की ओर प्रवास करते हैं इसे ऋतु प्रवास कहते हैं ।

 

प्रश्न 8 खनन से आप क्या समझते हैं ? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें । खनन की विधियां बताइए ।

खनन : - खनन का शाब्दिक अर्थ है खोदना या खुदाई । इस प्रकार , पृथ्वी के गर्भ से धातुओं , अयस्कों , तथा अन्य उपयोगी खनिजों को बाहर निकालना खनन ( mining ) हैं ।

 

खनन को प्रभावित करने वाले कारक :

 खनन को निम्नलिखित दो प्रकार के कारक प्रभावित करते हैं :

 

1.भौतिक कारक : -

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2.आर्थिक कारक : -

•आर्थिक कारक में खनिज की मांग ,

•तकनीक एवं उसका उपयोग ,

•संरचना के विकास के लिए उपलब्ध पूंजी ,

•यातायात और श्रम पर होने वाले खर्च को शामिल किया जाता है ।

 

खनन की विधियां : - खनन की निम्नलिखित दो विधियां होती हैं : -

( 1 ) धरातलीय खनन और

( 2 ) भूमिगत या कुपकी खनन

• धरातलीय खनन : - इसे विवृत खनन भी कहते हैं ।

इसकी विशेषताएं होती है :

( 1 ) यह खनन का सबसे सस्ता तरीका है ।

( 2 ) खनन की इस विधि में उत्पादन शीघ्र एवं जल्दी होता है ।

( 3 ) धरातलीय खनन अपेक्षाकृत सुरक्षित है । .

 

भूमिगत खनन : - जब खनिज अयस्क धरातल के नीचे गहराई में होता है तब भूमिगत अथवा कूपकी खनन विधि का प्रयोग किया जाता है ।

इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

( 1 ) खनन की यह विधि अपेक्षाकृत महंगी है क्योंकि इसमें श्रमिकों तथा खनिजों को सुरक्षित निकालने के लिए लिफ्ट , माल ढोने की गाड़ियां तथा वायु संचार प्रणाली का प्रयोग किया जाता है ।

( 2 ) Click Here for PDF

 

प्रश्न 9 : खनिज की खोज की कोई दो अवस्थाएं बताइए ।

मानव विकास के इतिहास में खनिज की कई अवस्थाएं हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

1.ताम्र युग

2.कांस्य युग

3.लौह युग

 

प्रश्न 10 : प्राचीन काल में खनिजों का उपयोग किस रूप में किया जाता था ।

प्राचीन काल में खनिजों का उपयोग औजार बनाने , बर्तन बनाने और हथियार बनाने तक सीमित था ।

 

प्रश्न 11 : कृषि से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकार बताइये ।

कृषि : - कृषि का शाब्दिक अर्थ होता है जोतना , इस प्रकार जमीन को जोत कर एवं बोकर खाद्य एवं अन्य उपयोगी सामानों का उत्पादन करना कृषि है ।

विश्व में पाई जाने वाली कृषि को सामाजिक आर्थिक एवं Click Here for PDF

• निर्वाह कृषि

( 1 ) आदिकालीन निर्वाह कृषि

( 2 ) गहन निर्वाह कृषि

• रोपण कृषि विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि

• मिश्रित कृषि

• डेयरी कृषि भूमध्यसागरीय कृषि

• बाजार के लिए सब्जी खेती एवं उद्यान कृषि

• संगठन के आधार पर कृषि

( 1 ) सहकारी कृषि

( 2 ) सामूहिक कृषि

 

प्रश्न 12 : निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं ? इसे किन दो भागों में बांटा जाता है ?

 

निर्वाह कृषि : - निर्वाह कृषि में स्थानीय लोग या कृषक परिवार कृषि उत्पादन का संपूर्ण अथवा लगभग संपूर्ण उपयोग करते हैं । इसके निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं :

1.आदिकालीन निर्वाह कृषि या स्थानांतरी कृषि

2. गहन निर्वाह कृषि

 

प्रश्न 13 : झूम खेती या स्थानांतरी कृषि से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषता बताइए ।

 

आदिकालीन निर्वाह कृषि : - आदिकालीन निर्वाह कृषि को स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि भी कहते हैं । यह कृषि का सबसे आदिम स्वरुप है । आदिकालीन निर्वाह कृषि में वनस्पति को जला दिया जाता है और उससे प्राप्त हुई राख को मिट्टी में मिला दिया जाता है । यह राख मिट्टी में खाद का काम करती है लेकिन कुछ समय बाद यह भूमि की उपजाऊ शक्ति को कम कर देती है इसलिए कृषक दूसरे स्थान पर कृषि करने लगता है । इसीलिए इसे स्थानांतरी कृषि भी कहते हैं ।

 

 आदिकालीन निर्वाह कृषि की निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

1.इसमें खेतों का आकार छोटा होता है ।

2. पारंपरिक औजारों का उपयोग किया जाता है जैसे की लकड़ी , कुदाली एवं फावड़ा ।

3. यह कृषि पर्यावरण की परिस्थिति पर निर्भर करती है जैसे कि मॉनसून ।

4.इClick Here for PDF

• अमेरिका एवं मेक्सिको में मिल्पा मलेशिया एवं इंडोनेशिया में लादांग ।

दोष : -इसके दो बड़े दोष हैं :

1.वनों का ह्रास होता है और पर्यावरण को क्षति पहुंचती है ।

2.मिट्टी की उर्वरा क्षमता खत्म हो जाती है और मृदा अपरदन होता है ।

 

प्रश्न 14 : गहन निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं ?

 

 गहन निर्वाह कृषि : - गहन निर्वाह कृषि मानसून एशिया के घने बसे आबादी वाले देशों में की जाती है जिसमें खेतों का आकार बहुत छोटा होता है और उस पर जनसंख्या का दबाव अधिक होता

 

• गहन निर्वाह कृषि के दो प्रकार होते हैं –

( i ) चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि और

( ii ) चावल रहित गहन निर्वाह कृषि ।

• खेतों का आकार छोटा होता है ।

• मशीनों की अपेक्षा मानव श्रमका अधिक उपयोग किया जाता है ।

•जिस में अधिकतर परिवार के सदस्य होता है ।

• प्रति व्यक्ति उत्पादन कम होता है ।

• प्रति एकड़ उत्पादन अधिक होता है । जैविक खाद का उपयोग किया जाता है । जैसे कि गोबर की खाद ।

• इसमें मुख्य फसलें गेहूं एवं चावल होती है ।

 

प्रश्न 15 : चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि क्या है ? इसकी विशेषताएं बताइए ।

चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि : यह एक गहन निर्वाह कृषि है जिसमें चावल प्रमुख फसल होती है ।

इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

• खेतों का आकार छोटा होता है ।

• मशीनों की अपेक्षा मानव श्रम का अधिक उपयोग किया जाता है ।

•जिस में अधिकतर परिवार के सदस्य होता है ।

• प्रति व्यक्ति उत्पादन कम होता है ।

• प्रति एकड़ उत्पादन अधिक होता है ।

• जैविक खाद का उपयोग किया जाता है । जैसे कि गोबर की खाद ।

• इसमें मुख्य फसल चावल ( धान ) होती है ।

 

प्रश्न 16 : चावल रहित गहन निर्वाह कृषि क्या है ? इसकी विशेषताएं बताइए ।

चावल रहित गहन निर्वाह कृषि : - यह एक गहन निर्वाह कृषि है जिसमें गेहूं , सोयाबीन , व जौ जैसी फसलों की कृषि की जाती है । यह कृषि ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहां चावल ( धान ) की फसल उगाना संभव नहीं है ।

इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

• खेतों का आकार छोटा होता है ।

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प्रश्न 17 : विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि क्या है ? इसकी विशेषताएं बताइए ।

विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि : - विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि एक मशीनीकृत अनाज कृषि है ।

जिसकी निम्नलिखित विशेषताएं

• खेतों का आकार बड़ा होता है ।

• मानव श्रम की अपेक्षा मशीनों का अधिक प्रयोग किया जाता है ।

• प्रति व्यक्ति उत्पादन अधिक होता है क्योंकि मशीनों का उपयोग किया जाता है और कृषकों की संख्या कम होती है ।

• रासायनिक उर्वरकों ( Fertilizers ) का उपयोग किया जाता है । जैसे की यूरिया ।

•इसकी प्रमुख फसलें गेहूं , मक्का , जौ एवं जई होती हैं ।

विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि का क्षेत्र

यूरेशिया के स्टेपीज , उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज , अर्जेंटीना के पंपाज , दक्षिण अफ्रीका के वेल्डस , ऑस्ट्रेलिया के डाउंस एवं न्यूजीलैंड के कैंटरबरी के मैदान है ।

 

प्रश्न 18 : गहन निर्वाह कृषि एवं विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि में अंतर स्पष्ट कीजिए ।

 

गहन निर्वाह कृषि

विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि

1. खेतों का आकार छोटा होता है ।

1.खेतों का आकार बड़ा होता है ।

2.मशीनों की अपेक्षा मानव श्रम का अधिक उपयोग किया जाता है । जिस में अधिकतर परिवार के सदस्य होता है ।

2. मानव श्रम की अपेक्षा मशीनों का अधिक प्रयोग किया जाता है ।

3.Click Here for PDF

4.जैविक खाद का उपयोग किया जाता है । जैसे कि गोबर की खादा

4. रासायनिक उर्वरकों( Fertilizers ) का उपयोग किया जाता है । जैसे की यूरिया ।

5Click Here for PDF

6. अधिकतर उत्पादन परिवार एवं स्थानीय लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है ।

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प्रश्न 19 : रोपण कृषि से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषता बताइए ।

रोपण कृषि : - रोपण कृषि एक व्यापारिक कृषि है जिसके अंतर्गत बाजार में बेचने के लिए चाय , कॉफी , कोको , रबड़ , कपास , गन्ना , केला , व अनन्नास जैसी फसलें उगाई जाती हैं ।

इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

• खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है ।

•अधिक मानव श्रम की आवश्यकता होती है जिसके लिए श्रम स्थानीय लोगों से सस्ते में मिल जाता है ।

• इस कृषि में वैज्ञानिक विधियों और उच्च तकनीकी प्रबंध की आवश्यकता होती है ।

•इसमें अधिक पूंजी एवं निवेश की आवश्यकता होती है ।

• एक फसली एक कृषि है जिसमें किसी एक फसल के उत्पादन पर ही ध्यान दिया जाता है । .

• रोपण कृषि की शुरुआत यूरोपीय लोगों ने की है । उदाहरण : भारत में ब्रिटेनवासियों ने चाय के बाग की कृषि की शुरुआत की ।

 

प्रश्न 20 : मिश्रित कृषि से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषता बताइए ।

मिश्रित कृषि : मिश्रित कृषि से अभिप्राय ऐसी कृषि से है जिसमें फसलों एवं पशुओं को समान महत्व दिया जाता है ।

इस कृषि की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं :

• इस कृषि में फसल उत्पादन के साथ साथ पशु ( जैसे कि भेड़ , मवेशी , एवं सुअर ) पालन भी किया जाता है । • इस कृषि के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है ।

• इस कृषि की मुख्य विशेषता कुशल एवं योग्य कृषक हैं ।

• इस कृषि में खेतों का आकार मध्यम होता है ।

• इस कृषि में बोई जाने वाली फसलें गेहूँ , जौ , राई , जई , मक्का , एवं चारे की फसलें है । शस्यवर्तन ( crop rotation ) मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाए रखता है ।

• यह कृषि विश्व के अत्यधिक विकसित भागों में की जाती है । जैसे कि पश्चिमी यूरोप , उत्तरी अमेरिका का पूर्वी भाग , गोशिगाकत भाग ।

प्रश्न 21 : डेयरी कृषि से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं बताइए ।

डेयरी कृषि : - डेयरी कृषि एक ऐसी कृषि है जिसमें दुधारू पशुओं को दूध के लिए पाला जाता है ।

 

इस कृषि की निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

• डेयरी कृषि एक बहुत ही उन्नत कृषि है जिस में दुधारू पशुओं को पाला जाता है ।

• इस कृषि के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है क्योंकि पशुओं के लिए छप्पर , घास संचित करने के भंडार एवं दूध उत्पादन के लिए अधिक यंत्रों की आवश्यकता होती है ।

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• डेरी कृषि का कार्य नगरीय क्षेत्रों के समीप किया जाता है क्योंकि यह क्षेत्र डेयरी उत्पादों के अच्छे बाजार होते हैं ।

डेयरी कृषि के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं :

1.उत्तरी पश्चिमी यूरोप

2.कनाडा

3.न्यूजीलैंड एवं दक्षिणी पूर्वी ऑस्ट्रेलिया

 

प्रश्न 22 : भूमध्यसागरीय कृषि क्या है ? इसकी विशेषताएं बताइए ।

भूमध्यसागरीय कृषि : - भूमध्यसागरीय कृषि ऐसे कृषि है जो भूमध्य सागरीय जलवायु वाले प्रदेशों में की जाती है इसके अन्तर्गत खट्टे फलों के उत्पादन पर विशेष बल दिया जाता है ।

 

भूमध्यसागरीय कृषि की निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

•अंClick Here for PDF

 

प्रश्न 23 : बाजार के लिए सब्जी खेती एवं उद्यान कृषि क्या है इसके विशेषताएं बताइए ।

बाजार के लिए सब्जी खेती एवं उद्यान कृषि : - यह एक ऐसी कृषि है जिसमें अधिक मुद्रा मिलने वाली फसलें जैसे सब्जियां , फल एवं पुष्प का उत्पादन किया जाता है । इन उत्पादों की मांग नगरीय क्षेत्रों में अधिक होती है ।

इस कुर्सी की निम्नलिखित विशेषताएं हैं :

• इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है ।

• इस कृषि में गहन श्रम एवं अधिक पूंजी की आवश्यकता होती

• इस कृषि में सिंचाई , उर्वरक , अच्छी किस्म के बीज , कीटनाशक , और कृत्रिम ताप की भी आवश्यकता होती है ।

• यातायात द्वारा इन उत्पादों को नगरीय क्षेत्रों तक पहुंचाया जाता है ।

 

प्रश्न 24 : संगठन के आधार पर कृषि के दो रूपों का वर्णन कीजिए ।

                                अथवा

सरकारी कृषि एवं सामूहिक कृषि में अंतर स्पष्ट कीजिए ।

 

संगठन के आधार पर कृषि : - संगठन के आधार पर कृषि को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जाता है :

सहकारी कृषि

सामूहिक कृषि

1. कृषClick Here for PDF

1. सरकार कृषकों की मदद करती है । सरकार उत्पादन को निर्धारित मूल्य पर खरीदती है ।

2. सहकारी कृषि में खेतों पर कृषकों का व्यक्तिगत स्वामित्व होता है ।

2. Click Here for PDF

3. सहकारी संस्था कृषकों को बाजार में उचित मूल्य पर फसल बेचने में मदद करती है ।

3. सरकार कृषकों से कृषि उत्पादन को निर्धारित मूल्य पर खरीदती है ।

4. इस प्रकार की कृषि डेनमार्क , नीदरलैंड , बेल्जियम , स्वीडन | एवम इटली जैसे देशों में की जाती है

4. Click Here for PDF

 

प्रश्न 25 : ट्रक कृषि किसे कहते हैं ?

ट्रक कृषि : - ट्रकClick Here for PDF

प्रश्न 26 : कोलखहोज ' से आप क्या समझते हैं ?

कोलखहोज : - सामूहिक कृषि को सोवियत संघ में कोलखहोज नाम दिया गया ।


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